Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Feb 2024 · 1 min read

कुछ नया करो।

क्षण क्षण हर क्षण, पल पल प्रति पल
यह ध्यान करो कुछ नया करो
यथार्थ में जिओ ,बीता भूलो
संबारो भविष्य, इतिहास रचो

प्रति स्वांस, स्वांस यह ध्येय रमो
निः स्वार्थ बनो ,सेवा भाव रखो
संतान परमपिता की तुम हो
किंचित न डरो , खुद का स्वयं उथान करो

प्रति शब्द ,शब्द वाणी पर तुम
गोर करो, गहन विचार करो
सुन न सको जिन शब्दो को
न बोलो , कंठ को शुद्ध करो

प्रति भोर भोर, प्रति सांझ सांझ
संकल्पित हो “दीप” खुद अपने प्रति
सेवा जन जन की कर कर के
सब तीर्थ करो सकल पुण्य फल लो

-जारी
– कुल’दीप’ मिश्रा

Language: Hindi
2 Likes · 137 Views

You may also like these posts

गज़ल
गज़ल
Jai Prakash Srivastav
सागर तो बस प्यास में, पी गया सब तूफान।
सागर तो बस प्यास में, पी गया सब तूफान।
Suryakant Dwivedi
संभव की हदें जानने के लिए
संभव की हदें जानने के लिए
Dheerja Sharma
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
Subhash Singhai
राम नवमी मना रहे हैं
राम नवमी मना रहे हैं
Sudhir srivastava
यूँ तो इस पूरी क़ायनात मे यकीनन माँ जैसा कोई किरदार नहीं हो
यूँ तो इस पूरी क़ायनात मे यकीनन माँ जैसा कोई किरदार नहीं हो
पूर्वार्थ
कुछ हमको भी जी लेने दो
कुछ हमको भी जी लेने दो
श्रीकृष्ण शुक्ल
23/165.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/165.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पृथ्वी दिवस
पृथ्वी दिवस
Kumud Srivastava
मतलब की इस दुनिया में वह पिता ही तो है, जो औलाद को बेमतलब प्
मतलब की इस दुनिया में वह पिता ही तो है, जो औलाद को बेमतलब प्
Ranjeet kumar patre
- सुख का आगमन -
- सुख का आगमन -
bharat gehlot
हर रोज़ मेरे ख़्यालों में एक तू ही तू है,
हर रोज़ मेरे ख़्यालों में एक तू ही तू है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जरुरी नहीं कि
जरुरी नहीं कि
Sangeeta Beniwal
रुदंन करता पेड़
रुदंन करता पेड़
Dr. Mulla Adam Ali
*ईर्ष्या भरम *
*ईर्ष्या भरम *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कुछ लोग घूमते हैं मैले आईने के साथ,
कुछ लोग घूमते हैं मैले आईने के साथ,
Sanjay ' शून्य'
अधूरी दास्तान
अधूरी दास्तान
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
विज्ञान और मानव
विज्ञान और मानव
राकेश पाठक कठारा
मेरा नहीं है
मेरा नहीं है
Minal Aggarwal
***किस दिल की दीवार पे…***
***किस दिल की दीवार पे…***
sushil sarna
तेरी महफ़िल में सभी लोग थे दिलबर की तरह
तेरी महफ़िल में सभी लोग थे दिलबर की तरह
Sarfaraz Ahmed Aasee
..
..
*प्रणय*
शुक्रिया
शुक्रिया
MEENU SHARMA
हमने देखा है हिमालय को टूटते
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बे’वजह — इंतज़ार कर लेते।
बे’वजह — इंतज़ार कर लेते।
Dr fauzia Naseem shad
ये कटेगा
ये कटेगा
शेखर सिंह
किसी भी चीज़ की ख़ातिर गँवा मत आज को देना
किसी भी चीज़ की ख़ातिर गँवा मत आज को देना
आर.एस. 'प्रीतम'
"सरहदों से परे"
Dr. Kishan tandon kranti
ये धुंध भी
ये धुंध भी
Ritesh Deo
वो पहला मिलन.
वो पहला मिलन.
हिमांशु Kulshrestha
Loading...