कुछ दोहे
???कुछ दोहे???
एक जैसे भावों की,नकल टीपतेे लोग|
फेसबुकी कविता हुई,ज्यों संक्रामक रोग||1||
निराला औ’ दिनकर सी,ढूँढ़ कलम मत आज|
अंगूठे से लिख रहा,ज्ञानी हुआ समाज||2||
तुलसी सूर कबीर हों,सबकी कहाँ बिसात|
करें कठिन बस साधना,हृदय लिये जज्बात||3||
रमा रजिया संग करें,हँसी खुशी हर काम|
कौन हँसी की जात है,क्या मजहब का नाम||4|
चोट लगे दूँ रोय मैं,तू भी तो दे रोय|
अन्तर बोलो है कहाँ,समझाये तो कोय||5||
उजले रंग औ’ मन का,ग्राहक सब संसार|
स्नेह भाव हिय में रखो,चोखा यह व्यापार||6|३
‘रा’ द्योतक है अग्नि का,’म’ शीतल वारि धाम|
अगर संतुलन चाहिए,जपिए निशदिन राम||7||
राम नाम पूंजी बड़ी,रखो इसे संभाल|
केवल जपो न राम को,लो जीवन में ढाल||8||
✍हेमा तिवारी भट्ट✍