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29 May 2023 · 1 min read

कैसे कांटे हो तुम

कैसे कांटे हो तुम, जो बिना तकलीफ कर चुभ जाती हो
कैसे खुशबू हो तुम, कि बिना सांसों के मेंहक आती तो
तुम क्या हो,ये परख पाना मुश्किल हैं मेरे लिए
मैं क्या कहूं, कुछ कह पाना मुश्किल है तेरे लिए।

तुम इतने मासूम हो, कि अधूरा भी पूरा श्रृंगार लगता है
तुम इतने खूब हो, कि कली भी गुलाब लगता है
तुम्हें परखने की, हैसियत कहां है मुझमें
तुझमें तो रब का चमत्कार लगता है।

तुम वो मरहम हो कि, तेरा दर्द भी दम है मेरे लिए
तुम वो रहम हो, कि मर जाना भी कम है मेरे लिए
तुम्हारे व्यार में, आने की वजन कहां है मुझमें
मुझे तो तुझमें एक अलग अंदाज लगता है।

✍️ बसंत भगवान राय

Language: Hindi
1 Like · 473 Views
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