किस्तों में
कभी किया दीदार था हमने
आज सुबह इजहार हुआ
बीत गये बरसों बरस
हमने किस्तों में प्यार किया
पहली किस्त की बारी आई
बीच सड़क वो आ टकराई
हमने पूछा, कैसी हो तुम ?
तो बात-बात पे की लड़ाई
दूजी किस्त में प्यार बढ़ा जब
गली-गली ये बात चली
प्यार-मोहब्बत की बातों से
दुनिया क्यों दिन रात जली
तीजी किस्त ने किया धमाका
धमाका था बड़ा निराला
ऊंगली कांट के खून निकाला
खून से चिट्ठी लिख डाला
अभी-अभी ये चिट्ठी आई
उसने दिल की बात बताई
चिट्ठी में कुछ यूं लिखा है
अब की बार हो गई सगाई
अब तो मैं ये दुआ करूंगा
सुखमय हो उसकी जिंदगानी
अमर रहे हम दोनों के
किस्तों की ये प्रेम कहानी