किराये की कोख
उपलब्ध है जगह-जगह
मकानों की तरह ही
किराये की कोख,
जनमने लगे हैं बच्चे अब
थोक में हर रोज।
किराये में कोख देना
विभत्स चेहरा है गरीबी का
मगर इससे भी
अति भयावह लगती
इंसान की हृदयहीनता,
यह सोचकर ही जनमती है
मन में भारी खिन्नता।
नारी शक्ति पर आधारित
मेरी प्रकाशित कृति : ‘बराबरी का सफर’ से,,,,
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
हरफनमौला साहित्य लेखक।