Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Feb 2021 · 1 min read

काश ! बनाने वालेे ने…..

बनानेवाले ने गर मुझे दो बूँद,
शराब की ही बना दिया होता..

तो लगकर उसके होंठो से,
जिस्म में उसके समा जाती मैं…
तनहाई मेरे नाम से ही बाँट लेता वो,
ना चाँद के दिदार से,ना तारों के झिलमिलाट से,
बस बहकता मेरे ही आँगन से…
बनाने वाले ने गर मुझे दो बूँद,
शराब ही बना दिया होता….
.
मेरा अकेलापन कब तक छुपा था उससे,
लेकर मुझे बाहों में लड़खड़ाता फिर भी सँभाल लेता,
मुहब्बत की निगाह मुझपर रखता,
ना किसी के रूप से,ना किसी के श्रींगार से,
ड़गमगाता सिर्फ मेरी आकर गलियों में…
बनानेवाले ने गर मुझे दो बूँद,
शराब ही बना दिया होता…..

Language: Hindi
234 Views

You may also like these posts

4400.*पूर्णिका*
4400.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्यार खुद से कभी, तुम करो तो सही।
प्यार खुद से कभी, तुम करो तो सही।
Mamta Gupta
Love Is The Reason Behind.
Love Is The Reason Behind.
Manisha Manjari
भेदभाव का कोढ़
भेदभाव का कोढ़
RAMESH SHARMA
"जोड़-घटाव"
Dr. Kishan tandon kranti
,,,,,,
,,,,,,
शेखर सिंह
शीत ऋतु
शीत ऋतु
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
एक ग़ज़ल :- भूला है हमने
एक ग़ज़ल :- भूला है हमने
मनोज कर्ण
कलयुगी रावण
कलयुगी रावण
Sudhir srivastava
एक गीत
एक गीत
Shweta Soni
रिश्तों की गहराई लिख - संदीप ठाकुर
रिश्तों की गहराई लिख - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
जिन्दगी का मामला।
जिन्दगी का मामला।
Taj Mohammad
घुटन
घुटन
Preksha mehta
बदलाव की ओर
बदलाव की ओर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
थ्हूं गंगा थ्हूं गोमती, थ्हूं जमना जळ धार।
थ्हूं गंगा थ्हूं गोमती, थ्हूं जमना जळ धार।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
पंखा
पंखा
देवराज यादव
संवेदना आँखों से झलकती है
संवेदना आँखों से झलकती है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
यूं जरूरतें कभी माँ को समझाने की नहीं होती,
यूं जरूरतें कभी माँ को समझाने की नहीं होती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
Bhupendra Rawat
विज्ञानी संदेश
विज्ञानी संदेश
Anil Kumar Mishra
#जय_माता_दी
#जय_माता_दी
*प्रणय*
ग़म ज़दा लोगों से जाके मिलते हैं
ग़म ज़दा लोगों से जाके मिलते हैं
अंसार एटवी
जाड़ा
जाड़ा
नूरफातिमा खातून नूरी
ज़िन्दगी का मुश्किल सफ़र भी
ज़िन्दगी का मुश्किल सफ़र भी
Dr fauzia Naseem shad
*जानो आँखों से जरा ,किसका मुखड़ा कौन (कुंडलिया)*
*जानो आँखों से जरा ,किसका मुखड़ा कौन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
इस शहर में कितने लोग मिले कुछ पता नही
इस शहर में कितने लोग मिले कुछ पता नही
पूर्वार्थ
दूरी अच्छी है
दूरी अच्छी है
Rambali Mishra
88betsh - M88 link mới nhất
88betsh - M88 link mới nhất
88betshcom
बाल कविता : बादल
बाल कविता : बादल
Rajesh Kumar Arjun
विडम्बना और समझना
विडम्बना और समझना
Seema gupta,Alwar
Loading...