कहीं छाँव कहीं धूप
कहीं छाँव कहीं धूप खिली है
कहीं जोर से सावन बरसे
कहीं दीप जलते खुशियों के
कहीं दुखों का सागर उमड़े
कहीं उजाला कहीं अँधेरा
कहीं आँख से आँसू झरते
कहीं भरे भण्डार सभी तो
कहीं भूख से बच्चे तरसे
कहीं उफ़नती नफ़रत मन में
कहीं प्रेम के गुलशन फलते
कहीं रंगीला इंद्रधनुष तो
कहीं जोर से बिजली कड़के
कहीं अमावस डसें चाँद को
कहीं चाँद पूनम का चमके
© डॉ० प्रतिभा ‘माही’