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13 Jul 2024 · 1 min read

कशिश

रास्ते कुछ जाने पहचाने से पर
राहनुमा अनजाने से ,

मंज़िलें भी कुछ पहचानी सीं पर
कुछ बदली- बदली सीं ,

लगता है हक़ीक़त से दूर ख़्वाबों के
शहर आ गया हूँ ,
अपनो की खोज में गैरों के
बीच आ गया हूँ ,

अपनों की जुस्तुजू ,
कुछ अज़ीज़ों से मुलाक़ात की कशिश
मुझे यहाँ ले आई है ,
बेताब दिल की आरज़ू फिर एक बार
मुझे यहाँ ले लाई है ।

Language: Hindi
1 Like · 39 Views
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