कवि कौन?
कवि कौन ?
कवि संस्कृत भाषा का शब्द है ।जिसे हिंदी भाषा में भी अपनाया गया है ।कवि का अर्थ जो काव्य का सृजन करता है ।हमारे देश की विशेषता है कि यहां आदि काल से काव्य का सृजन होता रहा है ।ऋषि मुनियों द्वारा समाज को देश काल व परिस्थिति के अनुसार जीवनयापन से लेकर संस्कार व कर्म निधारण तक का ज्ञान काव्य शैली में दिया जाता रहा है ।
यू तो आदि कवि के रूप में नारद मुनि की प्रतिष्ठा है लेकिन काव्य को लिखित रूप में करने का श्रेय वेद व्यास को जाता है, इसलिए वेद व्यास ऋषि को सांसारिक दृष्टि से आदि कवि भी कहा जाता है ।
वेद व्यास से लेकर तुलसीदास, सूरदास,केशवदास जैसे महान कवियों का काव्य आज हर भारतीय के घर में किसी न किसी रूप में देखने को मिलता है ।आज भी इन महान कवियों का काव्य मानव को मार्गदर्शन देता है और देता रहेगा क्योंकि यह कालजयी काव्य सृजन है ।
हम सब ऋषि मुनियों की संतान हैं अर्थात हमारे डी एन ए में कवियों के गुण व विशेषता होना स्वाभाविक ही है ।इसलिए कवियों की संख्या संभवतः अन्य देशों की अपेक्षा भारत में ज्यादा ही है ।आदि काल वीर गाथा काल, भक्ति काल, रीति काल तथा आधुनिक काल में सभी कवियों के काव्य सृजन की शैली परिस्थिति परक ही रही हैं ।आज भी इन्हीं शैलियों को लेकर साहित्य सृजन किया जाता है ।
अब इलेक्ट्रिक मीडिया के प्रभाव से कवियों को पूर्व से अधिक अवसर मिल रहे हैं तथा कम समय में श्रेय और सम्मान भी मिल रहा है ।लेकिन कुछ लालची लोग कालनेमी की तरह अन्य कवियों की कविता चुरा कर, तोड़ मरोड़ कर अपने नाम कर लेते है,
और कवियों की पंक्ति में चरण वंदना कराते हैं, वे कवि तो कहलाने लगते हैं लेकिन कवि होते नहीं है ।
कवि गंभीर, मनन शील तथा सरस्वती का आराधक होता है ।स्वयं की सफलता को भी माॅ सरस्वती के चरणों में समर्पित करता है ।महाकवि तुलसीदास जैसे महान कवि भी स्वयं को कवि न मानकर भक्त कहा करते थे ।अब तो कवि कहलाने की उतावली कुछ अधिक ही दिखाई देती है ।
फिर कवि होना कोई प्रशासनिक पद नहीं है,कवि अपने मन के उदगार देशहित, समाज हित, मानवता के प्रति सकारात्मक सोच को काव्यमय रखता है ।जो सुनने -पढ़ने में रूचिकर हो , प्रेरक हो, ज्ञानवर्धक होने के साथ समाज की दिशा और दशा तय करता हो।यह आवश्यक नहीं कि कवि गायक ही हो, गायन एक अलग कला है पर दोनों का साथ साथ होना सोने में सुहागा की तरह है ।
कवि कौन?इस सवाल के उत्तर में कहा जा सकता है कि जिसके मन में रस,छंद, अलंकार ,लय युक्त काव्य सृजन की क्षमता हो तथा जो अपनी बात, मन के भाव ,कविता के रूप में सृजन करता है , वही कवि है ।कवि और कविता का रिश्ता ही कवि की कल्पना होती है ।साहित्यकार तो बहुत होते हैं पर साहित्यकारों में कवि विरले ही होते हैं ।
राजेश कौरव सुमित्र