समय का इम्तिहान
ले रहा है इम्तिहान समय मेरे सब्र का
आज सारे हौंसलों की आज़माइश है ।
पेशानियों पर शिकन के बल नहीं दिखे
प्रेम की मेरे कुछ आज ऐसी पैमाइश है ।
कंधों पर दायित्व हैं किन्तु कर आबद्ध हैं
समय के प्रच्छन्न पथ नियति से सन्नद्ध है ।
भाग्य का दिनमान ये कब उदित हो पाएगा ?
पथ तिमिर आबद्ध कैसे काट भव ये पाएगा ?
हो गए है सब तिरोहित जो मेरे पुरुषार्थ है ।
सूर्य को बंधक बनाए बादलों के पाश हैं ।
समय ने दे वंचना फिर मित्र मेरे सब ठगे ।
मेरे परिचित पथ सभी आज धुंधले से लगे ।