कविता का शीर्षक: मैं अभी जीना चाहता हूं कविताः जब निराशा से,
कविता का शीर्षक: मैं अभी जीना चाहता हूं कविताः जब निराशा से, भर जाता हूं जब थक हार कर, बैठ जाता हूं तब खुद की खोज में, लग जाता हूं उम्मीद की नई किरण जगाता हूं नए उत्साह के साथ, मैं अभी जीना चाहता हूं
सफर मुश्किल है, मैं जानता हूं राह कठिन है, मैं मानता हूं आस्था और विश्वास से, नई राह बनाता हूं रुकना नहीं, मैं चलना चाहता हूं ख्वाब अधूरा है मेरा, मैं भी जीना चाहता हूं
जीवन एक उपहार है, मैं मानता हूं हर पल को संजोना है, मैं जानता हूं कल की फिक्र नहीं, मैं आज मैं जीता हूं जिंदगी के इस सफर में, खो जाना चाहता हूं प्यार मोहब्बत से, मैं अभी जीना चाहता हूं