दिल ये पहले से सजा रक्खा है /
काश जज्बात को लिखने का हुनर किसी को आता।
कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो,कोई रूठे तो उसे मनाना सीखो,
ऊर्मि
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
*जाते साधक ध्यान में (कुंडलिया)*
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
एक अधूरी सी दास्तान मिलेगी, जिसकी अनकही में तुम खो जाओगे।
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
आपको व आप के पूरे परिवार को नववर्ष की बहुत-बहुत बधाई एवं बहु
बदलती जरूरतें बदलता जीवन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
डॉ0 रामबली मिश्रबली मिश्र के दोहे
ज्यादा खुशी और ज्यादा गम भी इंसान को सही ढंग से जीने नही देत