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11 Nov 2023 · 1 min read

खालीपन - क्या करूँ ?

खालीपन – क्या करूँ ?
विधा – स्वच्छंद – अतुकांत कविता
लेखक – डॉ अरुण कुमार शास्त्री – दिल्ली

क्या करूँ कैसे भरूँ ?
जो खालीपन तुम दे गये ।

नींद चुराई , चैन चुराया ,
और बैचेनी दे गये ।

प्यार किया था , या था नाटक ,
सूनी रातें दे गये ।

दूर हुए हो जबसे साजन ,
खालीपन ही दे गये ।

कह के जाते , कोई शिकायत ,
शिकवा करते , मुझसे लड़ते ,

कमी रही जो मेरे नेह में ,
हम भरसक उसको पूरा करते ।

लेकिन तुम तो निष्ठुर निकले ,
का – पुरुष से भी गये गुजरे निकले ।

बिना बजह के हम से रूठे ,
बिना गलती के दोष दिए बिन ,
हाय राम तुम खोकले निकले ।

तोड़ भरोसा मेरे दिल का ,
अनजानों से चले गये ,
दर्द दे गये पीर दे गये , ठीक हो सके न
ऐसा हम को जख्म दे गये ।

नींद चुराई , चैन चुराया ,
और बैचेनी दे गये ,

दूर हुए हो जबसे साजन ,
तबसे ही खालीपन दे गये ।

प्यार किया था , या था नाटक ,
सूनी मुझको रात दे गये ।

अब न होगा प्यार किसी से ।
कोई न होगा साथी मेरा ।

टूटे दिल से प्यार करूँ क्या ?
अब ऐसा व्यवहार न होगा ।

सामाजिक व्यवहार न होगा ,
मुझसे लोकाचार न होगा ।

मैत्री का हाँथ बढ़ेगा जो भी अबसे ,
बिल्कुल भी स्वीकार न होगा ।

खालीपन ही अब तो मेरा ,
सच्चा मैत्रिक आचरण होगा ।

दर्द रहेगा हरदम दिल में ,
पर आँखों से प्रगट न होगा ।

जिंदा हूँ पर जीवित जैसा , जीवन जीना
मुझमें यारा , किंचित भी आसान न होगा ।

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