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10 Jan 2019 · 1 min read

कविता

थोडा कम थका ए जिन्दगी,
मजबूर है हम ,मजदूर नहीं।
खवाहिशें तो है बडी बडी,
पूरी सभी होती नहीं।
हसरतें सारी दबी रह गयी,
जिम्मेदारी के अँधेरे तले।
थोडा कम सता ए जिन्दगी,
किस्मत के मारे है, तुझसे हारे नहीं।
थोडा कम तडपा ऐ जिन्दगी,
अंदर सै खोखले है, पर होंसले कम नहीं।

*****सोनु सुगंध*** ३/११/२०१८

Language: Hindi
1 Like · 390 Views
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