विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
*धक्का-मुक्की मच रही, झूले पर हर बार (कुंडलिया)*
कभी फुरसत मिले तो पिण्डवाड़ा तुम आवो
काश लौट कर आए वो पुराने जमाने का समय ,
माॅ॑ बहुत प्यारी बहुत मासूम होती है
जीवन में शॉर्ट कट 2 मिनट मैगी के जैसे होते हैं जो सिर्फ दो म
*** रेत समंदर के....!!! ***
মন এর প্রাসাদ এ কেবল একটাই সম্পদ ছিলো,
बाल कविता: 2 चूहे मोटे मोटे (2 का पहाड़ा, शिक्षण गतिविधि)
बनें जुगनू अँधेरों में सफ़र आसान हो जाए
आत्महत्या कर के भी, मैं जिंदा हूं,