"फ़िर से आज तुम्हारी याद आई"
डा. तुलसीराम और उनकी आत्मकथाओं को जैसा मैंने समझा / © डा. मुसाफ़िर बैठा
*"राम नाम रूपी नवरत्न माला स्तुति"
सिर्फ चलने से मंजिल नहीं मिलती,
■ पता नहीं इतनी सी बात स्वयम्भू विश्वगुरुओं को समझ में क्यों
शहर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
वो सारी खुशियां एक तरफ लेकिन तुम्हारे जाने का गम एक तरफ लेकि
तूणीर (श्रेष्ठ काव्य रचनाएँ)
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सुनो रे सुनो तुम यह मतदाताओं
23/41.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
धन की खातिर तन बिका, साथ बिका ईमान ।
💐 Prodigy Love-10💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)