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30 Aug 2020 · 1 min read

कविता

कुछ
लिखने से
पहले सोंच लेना
पढ़ने वाले तुम्हें अपने
दायरे में रख कर पढ़ेंगे,
वो खुद से ही अर्थ निकालेंगे
क्योंकि छपने के बाद रचना, तुम्हारे
होठों से निकले हुए शब्दों की तरह हैं
जिसे तुम वापस नहीं ले सकते और न
उससे तुम ‘अपने’ होने से इनकार कर सकते हो ।
तो,प्रश्न यह है कि क्या” हम ” लिखना छोड़ दें????
नहीं, लिखना छोड़ना तो आत्महत्या करने जैसा है ।
और मुक दर्शक बनकर जीना भी महापाप है एक
बुद्धिजीवी,सम्वेदनशील और प्रगतिशील
लेखक के लिए !!
फ़िर क्या करे हम –?????
बस सोंच ले की क्या लिखना है?
किस के लिए लिखना है ?
कब लिखना है?
और हाँ
क्यों?
-अजय प्रसाद

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 448 Views

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