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13 Apr 2020 · 1 min read

कविता

बर्बादी ही होती है आपसी रंजिश में
इंसान कैद होता है वक्त की गर्दिश में
समय रहते खुद को न सम्भाल पाओगे
दलदल से खुद को न निकाल पाओगे
चीन ने गैर मुल्को के लिए वायरस बनाया
क्या खुद के वुहान शहर को बचाया
आदमी-आदमी को पछाड़े बुरा नही
क्या मानवता के बिना आदमी अधूरा नहीं
जीने के लिए सुकून भी जरूरी है
रोटी कपड़ा मकान तो मजबूरी है
छोटी सी जिंदगी में खूब बखेड़ा है
हमने खुद ही अपना बखिया उधेड़ा है।

नूरफातिमा खातून “नूरी”
13/4/2020

Language: Hindi
4 Likes · 577 Views
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