Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Oct 2023 · 1 min read

स्नेह की मृदु भावनाओं को जगाकर।

स्नेह की मृदु भावनाओं को जगाकर।
और मन के आज सब संशय हटाकर।
जिंदगी की राह पर हम बढ़ चलेंगे।
अब अहर्निश हर कदम आगे बढ़ाकर।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ११/१०/२०२३

1 Like · 1 Comment · 178 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from surenderpal vaidya
View all
You may also like:
विद्यार्थी को तनाव थका देता है पढ़ाई नही थकाती
विद्यार्थी को तनाव थका देता है पढ़ाई नही थकाती
पूर्वार्थ
तो मेरे साथ चलो।
तो मेरे साथ चलो।
Manisha Manjari
'तड़प'
'तड़प'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
रिश्तों को कभी दौलत की
रिश्तों को कभी दौलत की
rajeev ranjan
"उल्लास"
Dr. Kishan tandon kranti
सुविचार
सुविचार
Sanjeev Kumar mishra
23/57.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/57.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" अलबेले से गाँव है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
युद्ध के मायने
युद्ध के मायने
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
ऐ ज़िन्दगी ..
ऐ ज़िन्दगी ..
Dr. Seema Varma
इतनी उम्मीदें
इतनी उम्मीदें
Dr fauzia Naseem shad
*** आशा ही वो जहाज है....!!! ***
*** आशा ही वो जहाज है....!!! ***
VEDANTA PATEL
सुहागरात की परीक्षा
सुहागरात की परीक्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*राम-राम कहकर ही पूछा, सदा परस्पर हाल (मुक्तक)*
*राम-राम कहकर ही पूछा, सदा परस्पर हाल (मुक्तक)*
Ravi Prakash
वीर हनुमान
वीर हनुमान
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सपने
सपने
Santosh Shrivastava
*हमारे कन्हैया*
*हमारे कन्हैया*
Dr. Vaishali Verma
राष्ट्र निर्माता शिक्षक
राष्ट्र निर्माता शिक्षक
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वीर तुम बढ़े चलो...
वीर तुम बढ़े चलो...
आर एस आघात
* फूल खिले हैं *
* फूल खिले हैं *
surenderpal vaidya
'खामोश बहती धाराएं'
'खामोश बहती धाराएं'
Dr MusafiR BaithA
👗कैना👗
👗कैना👗
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
Hum khuch din bat nhi kiye apse.
Hum khuch din bat nhi kiye apse.
Sakshi Tripathi
हर कस्बे हर मोड़ पर,
हर कस्बे हर मोड़ पर,
sushil sarna
निदा फाज़ली का एक शेर है
निदा फाज़ली का एक शेर है
Sonu sugandh
■ जैसी करनी, वैसी भरनी।।
■ जैसी करनी, वैसी भरनी।।
*Author प्रणय प्रभात*
कुंती कान्हा से कहा,
कुंती कान्हा से कहा,
Satish Srijan
तिरंगा
तिरंगा
Neeraj Agarwal
मैं तुम्हें यूँ ही
मैं तुम्हें यूँ ही
हिमांशु Kulshrestha
फितरत है इंसान की
फितरत है इंसान की
आकाश महेशपुरी
Loading...