Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 May 2024 · 1 min read

कविता के प्रेरणादायक शब्द ही सन्देश हैं।

कोशिश कर, हल निकलेगा ,
आज नहीं तो, कल निकलेगा.
अर्जुन के तीर सा सध जा,
मरूस्थल से भी जल निकलेगा |

मेहनत कर, पौधों को पानी दे,
बंजर जमीन से भी फल निकलेगा |
ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे,
फ़ौलाद सा ही बल निकलेगा |

जिंदा रख, दिल में उम्मीदों को,
गरल के समंदर से भी गंगाजल निकलेगा |
कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की,
जो है आज थमा-थमा सा, चल निकलेगा |

गति प्रबल पैरों में भरी,फिर क्यों रहूं दर दर खड़ा,
जब आज मेरे सामने,है रास्ता इतना पड़ा |
जब तक मंजिल न पा सकूं,
तब तक मुझे न विराम है,
सतत चलना हमारा काम है |

Language: Hindi
21 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
View all
You may also like:
तुम न जाने कितने सवाल करते हो।
तुम न जाने कितने सवाल करते हो।
Swami Ganganiya
कभी कभी कुछ प्रश्न भी, करते रहे कमाल।
कभी कभी कुछ प्रश्न भी, करते रहे कमाल।
Suryakant Dwivedi
नर जीवन
नर जीवन
नवीन जोशी 'नवल'
गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
3018.*पूर्णिका*
3018.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सरस्वती वंदना । हे मैया ,शारदे माँ
सरस्वती वंदना । हे मैया ,शारदे माँ
Kuldeep mishra (KD)
अनपढ़ व्यक्ति से ज़्यादा पढ़ा लिखा व्यक्ति जातिवाद करता है आ
अनपढ़ व्यक्ति से ज़्यादा पढ़ा लिखा व्यक्ति जातिवाद करता है आ
Anand Kumar
अन्तिम स्वीकार ....
अन्तिम स्वीकार ....
sushil sarna
*पाई कब छवि ईश की* (कुंडलिया)
*पाई कब छवि ईश की* (कुंडलिया)
Ravi Prakash
मंदिर बनगो रे
मंदिर बनगो रे
Sandeep Pande
मृत्यु शैय्या
मृत्यु शैय्या
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
"यदि"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेमी ने प्रेम में हमेशा अपना घर और समाज को चुना हैं
प्रेमी ने प्रेम में हमेशा अपना घर और समाज को चुना हैं
शेखर सिंह
तबकी  बात  और है,
तबकी बात और है,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
चलो चलें बौद्ध धम्म में।
चलो चलें बौद्ध धम्म में।
Buddha Prakash
एक सच
एक सच
Neeraj Agarwal
तुमको वो पा लेगा इतनी आसानी से
तुमको वो पा लेगा इतनी आसानी से
Keshav kishor Kumar
किन्नर व्यथा...
किन्नर व्यथा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
राग द्वेश से दूर हों तन - मन रहे विशुद्ध।
राग द्वेश से दूर हों तन - मन रहे विशुद्ध।
सत्य कुमार प्रेमी
*जातक या संसार मा*
*जातक या संसार मा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
झकझोरती दरिंदगी
झकझोरती दरिंदगी
Dr. Harvinder Singh Bakshi
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
शासन अपनी दुर्बलताएँ सदा छिपाता।
शासन अपनी दुर्बलताएँ सदा छिपाता।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
इश्क़ में ना जाने क्या क्या शौक़ पलता है,
इश्क़ में ना जाने क्या क्या शौक़ पलता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सृजन तेरी कवितायें
सृजन तेरी कवितायें
Satish Srijan
कभी एक तलाश मेरी खुद को पाने की।
कभी एक तलाश मेरी खुद को पाने की।
Manisha Manjari
चाँद बदन पर ग़म-ए-जुदाई  लिखता है
चाँद बदन पर ग़म-ए-जुदाई लिखता है
Shweta Soni
जब हम सोचते हैं कि हमने कुछ सार्थक किया है तो हमें खुद पर गर
जब हम सोचते हैं कि हमने कुछ सार्थक किया है तो हमें खुद पर गर
ललकार भारद्वाज
सोशल मीडिया पर हिसाबी और असंवेदनशील लोग
सोशल मीडिया पर हिसाबी और असंवेदनशील लोग
Dr MusafiR BaithA
निरंतर खूब चलना है
निरंतर खूब चलना है
surenderpal vaidya
Loading...