कविता-कूड़ा ठेला
कविता जैसे
निबला की पत्नी
और गांव भर की भौजाई
होकर रह गई है
जिसके भी चाहे जो मन में आए
कविता के नाम पर
ठेले जा रहा है
इस लिहाज से
फेसबुक सबसे बड़ा कविता-कूड़ा ठेला बन गई है!
कविता के नाम पर प्रायः
मज़ाक परोसा जा रहा है
इस प्रचुर निचुड़ित दोहित विधा को
गरीब की लुगाई मानिए तो
थोक भाव से दे दनादन ठोकने वाले
दैनिक तौर पर
दर्जनों कविता लिख मारने में मस्त कवियों को
उसका लुंपेन औ’ शील–हर पड़ोसी!