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31 Jul 2024 · 1 min read

कविता का किसान

आठ-आठ नौकरियाँ लगीं
निर्वाह किया तीन में,
समय चुराकर लिखी रचना
क्या रात क्या दिन में।

परिवार को तो चाहिए होते
रोटी कपड़ा मकान,
कविताओं की लगाया ना मैंने
कभी कोई दुकान।

किसान का बेटा हूँ मैं
रचनाएँ मेरी जान,
जीवन जोतकर बोया-काटा
मैं कविता का किसान।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
अमेरिकन एक्सीलेंट राइटर अवार्ड प्राप्त।

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 63 Views
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