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16 Jan 2024 · 1 min read

*धरती के सागर चरण, गिरि हैं शीश समान (कुंडलिया)*

धरती के सागर चरण, गिरि हैं शीश समान (कुंडलिया)
_______________________________
धरती के सागर चरण ,गिरि हैं शीश समान
नदियाँ झरने खुशनुमा ,इसकी देह महान
इसकी देह महान ,हिमालय गिरि का राजा
लगता जैसे उच्च , स्वर्ग का यह दरवाजा
कहते रवि कविराय ,झील शोभा मन-हरती
पाकर परम प्रसन्न , व्योम मेघों को धरती
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
गिरि = पहाड़
व्योम = आकाश
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

1 Like · 96 Views
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