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4 Apr 2022 · 1 min read

कविता।

गाय में तो भगवान निहारा।
और भैंस को मौत के घाट उतारा।
हर जीव में बैठा है सृजन हारा।
फिर मुर्गे को बलि देकर क्यो मारा?
अहिंसा परमो धर्म यह शब्द उचारा।
फिर भैंस में भगवान क्यो नहीं निहारा?
पत्थर के भगवान पर तूने लाखों लुटाया।
एक भगवान को एक रोटी के लिए,द्वार पर बैठाया।
भगवान की परिभाषा आज तक समझ न पाया है।
भेड़ की चाल हमेशा चलता आया है।

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 409 Views
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