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19 May 2020 · 1 min read

कर्म बड़ा या भाग्य बड़ा

कर्म बड़ा या भाग्य बड़ा, हे मनुज तु सोच जरा,
जो नर भाग्यशाली होते हैं,
सुख शांति का सोमरस पीते हैं,
जग के सदा करणीय वो ही होते,
उनका कथन प्रज्ञायुक्त मानक सा होते,
उनका ही पतंग गगन में स्वछंद उड़ा
कर्म बड़ा या भाग्य बड़ा, हे मनुज तु सोच जरा ।

कर्मठता की गजब कहानी,
कर्म पथ पर घीस जाती सारी जिंदगानी,
मिलता नहीं पेट भर रुखा सूखा दाना-पानी,
फिर हुई कैसी एक भविष्यवाणी,
है पूर्व जन्म का दोष बड़ा,
कर्म बड़ा या भाग्य बड़ा, हे मनुज तु सोच जरा ।

प्रबल भाग्य धारक न होते दोषी,
जघन्य अपराध भी हो जाती फुहर जैसी,
गायी जाती महिमा उनकी शत् शत् कोसी,
महाप्रलय में ईश्वर की भी दिखती खामोशी,
होता इनका सौभाग्य झोला भरा,
कर्म बड़ा या भाग्य बड़ा, हे मनुज तु सोच जरा ।

कर्म यदि होती जग में सबल ,
खोती क्यों इन नाहक की दृढ संबल ,
निज निष्ठा से निर्माण किया ऊँचा महल,
आंसू के धार में बह रहा सुख सा चहल-पहल,
तीव्र वेग लुट गया बसंत हरा,
कर्म बड़ा या भाग्य बड़ा, हे मनुज तु सोच जरा ।क्रमशः
उमा झा

Language: Hindi
13 Likes · 4 Comments · 429 Views
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