करो जब बात तो हर बात मोतबर निकले।
करो जब बात तो हर बात मोतबर निकले।
फायदा क्या है जो कोई पेड़ बे समर निकले।
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राह मुश्किल भी हो कट जाता है आसानी से।
प्यार की राह का राही जो हम सफर निकले।
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हम आधी रात तक बैठे हैं इंतजार किए।
की मेरा चांद सरेशाम बाम पर निकले।
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वो छ: गिलास उठाता है पांच उंगली से।
जिनको शाहीन समझते थे बालो पर निकले।
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वो जितने शोर मचाते थे खोखले निकले।
जितने खामोश थे लफ्जों के जादूगर निकले।
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Dr sagheer Ahmad Siddiqui Khaira bazar Bahraich