कभी मिलो…!!!
सुनो, कभी मिलो नुक्कड़ वाले
उसी पुराने ढाबे पर
यूं ही किसी हल्की-फुल्की सी
गपशप का इरादा लिए
कुछ भूली-बिसरी यादें ताजा करने को
ज्यादा नहीं, बस एक प्याली चाय के साथ ।
सुनो, कभी मिलो उसी छोटे से रेस्तरां में
किसी कोने वाली टेबल पर
बाहर रिमझम बरसती मस्त फुहार की
धीमी-धीमी सिहरन को महसूस करने के लिए
ज्यादा नहीं, बस एक प्याली गर्म चाय के साथ ।
सुनो, कभी मिलो घर पर
मेरे उसी कमरे में उसी पुराने फर्नीचर के बीच
बांटने को कुछ खट्टे-मीठे पल
ज्यादा नहीं, बस एक प्याली ताजा गर्म चाय के साथ ।
सुनो, कभी कहीं तो मिलो
किसी भी बहाने से, किसी भी जगह पर
किसी भी दिन बस हम-तुम एक जगह, एक संग
यूं ही बेवजह से चंद सुहाने पलों के लिए
ज्यादा नहीं, बस एक प्याली……………!!!!!
रचनाकार – कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत) ।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक – २५.११.२०१८.