कभी आइना भी देखा करो !
कभी आइना भी देखा करो,
सच बोलना भी सीखा करो।
हिम्मत जगाओ अपने अंदर,
उफान में है देखो समुंदर।
पीछे पीछे चलना भी गुनाह है,
दूसरों की क्यों लेना पनाह है।
क्यों किसी का अनूसरण करते हो,
बीती बातों का स्मरण करते हो।
मनुष्य हो मनुष्यता दिखाओ,
संघर्ष औरों को भी सिखाओ।
लड़ने का हुनर अब तो सीखो,
युद्ध की रेखा नई तुम खींचो।
जीवन सबका ही संघर्ष है,
कभ दुख कभी यहां हर्ष है।
वक्त के साथ चलना होगा,
हक के लिए लड़ना होगा।
मोती की चाह है तुम्हे,
तो समुंदर में जाना होगा।
पानी से पांव भी भीगेंगे,
लहरों से भी टकराना होगा।
पारवार हाथ जोड़े नहीं आयेगा,
रह तुम्हे वो स्वयं न दिखायेगा।
कभी दोस्तों की मोहब्बत होगी,
कभी दुश्मनों से अदावत होगी।
मुस्किलों से अब टकराना होगा
अब नहीं कोई बहाना होगा।
कभी किताबों को पढ़ा करो,
अक्षर नए तुम भी गढ़ा करो।
कभी आइना भी देखा करो,
सच बोलना भी सीखा करो।