Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Aug 2023 · 2 min read

कन्हैया आओ भादों में (भक्ति गीतिका)

कन्हैया आओ भादों में (भक्ति गीतिका)
_________________________________
(1)
मिटाने ताप जग का तुम, कन्हैया आओ भादों में
अधर पर प्रेम की बंसी, बजाने लाओ भादों में
(2)
हुए तुम कृष्ण मनमोहन, चुराईं मटकियाँ माखन
हमारे घर भी मटकी फोड़, माखन खाओ भादों में
(3)
बजी जब बाँसुरी मोहन, तो सुधबुध देह खोती थी
वही मस्ती वही यमुना का, तट दिखलाओ भादों में
(4)
सुदर्शन चक्रधारी तुम, तुम्हीं गिरधर कहाते हो
बनो तुम सारथी रण में, हमें जितवाओ भादों में
(5)
सुनाकर वीर अर्जुन की, जो दुविधा तुमने सुलझाई
सुनें हम और तुम गीता, वही फिर गाओ भादों में
____________________________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999 76154 51
————————————————————-
कृष्ण हमारी मटकी फोड़ो (भक्ति गीत)
____________________________________
सिर पर बोझा बहुत हो चुका अब तो कर दो खाली
कृष्ण हमारी मटकी फोड़ो माखन-मिश्री वाली
(1)
जब तक मटकी भरी रहेगी मन उसमें भटकेगा
ध्यान तुम्हारा नहीं लगेगा , मटकी में अटकेगा
एक हुई बीमारी भारी मटकी की यह पाली
(2)
जल्दी आओ कृष्ण चुरा लो या कंकड़ से फोड़ो
थक- थक गया देह से कहते-कहते बस मत जोड़ो
मटकी में माखन सफेद कब, कलुष हृदय की काली
कृष्ण हमारी मटकी फोड़ो माखन-मिश्री वाली
————————————————————
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर ( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 9997615451
—————————————————————
बंसी का स्वर दो (भक्ति गीतिका)
××××××××××××××××××××××××××
(1)
नीरस है यह जगत कृष्ण इसको बंसी का स्वर दो
मधुर भाव रस रंग हमारे अंतर्मन में भर दो
(2)
हम आपस में रहें प्रेम से कृष्ण सुधा बरसाओ
कलुष हृदय में जमा हुआ जो सब बाहर कर दो
(3)
भोला-भाला हमें बना दो निश्छल मस्ती छाए
कपट नहीं किंचित भी आए देव देव यह वर दो
(4)
तन का क्या है रहे न रहे मिटना रही नियति है
आकर कभी न जाए ऐसा अंतर्नाद अमर दो
(5)
किसी प्रलोभन के सम्मुख हम मस्तक नहीं झुकाऍं
वैरागी हो भीतर से मन ऐसा भाव प्रखर दो
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””‘”‘”””””””
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451

206 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
क़यामत
क़यामत
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
तुम ये उम्मीद मत रखना मुझसे
तुम ये उम्मीद मत रखना मुझसे
Maroof aalam
संकल्प
संकल्प
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बुंदेली दोहा- जंट (मजबूत)
बुंदेली दोहा- जंट (मजबूत)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जाने दिया
जाने दिया
Kunal Prashant
" समय बना हरकारा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
■ दोनों पहलू जीवन के।
■ दोनों पहलू जीवन के।
*Author प्रणय प्रभात*
वर्तमान
वर्तमान
Shyam Sundar Subramanian
एक प्यार ऐसा भी
एक प्यार ऐसा भी
श्याम सिंह बिष्ट
Tumhari sasti sadak ki mohtaz nhi mai,
Tumhari sasti sadak ki mohtaz nhi mai,
Sakshi Tripathi
सेर (शृंगार)
सेर (शृंगार)
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
मित्रता दिवस पर विशेष
मित्रता दिवस पर विशेष
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
न जल लाते हैं ये बादल(मुक्तक)
न जल लाते हैं ये बादल(मुक्तक)
Ravi Prakash
खरगोश
खरगोश
SHAMA PARVEEN
संकल्प
संकल्प
Bodhisatva kastooriya
शिकायत है हमें लेकिन शिकायत कर नहीं सकते।
शिकायत है हमें लेकिन शिकायत कर नहीं सकते।
Neelam Sharma
खंडकाव्य
खंडकाव्य
Suryakant Dwivedi
छोटे गाँव का लड़का था मै और वो बड़े शहर वाली
छोटे गाँव का लड़का था मै और वो बड़े शहर वाली
The_dk_poetry
2
2
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सपने
सपने
Santosh Shrivastava
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Srishty Bansal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
Childhood is rich and adulthood is poor.
Childhood is rich and adulthood is poor.
सिद्धार्थ गोरखपुरी
।। आशा और आकांक्षा ।।
।। आशा और आकांक्षा ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
आप करते तो नखरे बहुत हैं
आप करते तो नखरे बहुत हैं
Dr Archana Gupta
माना मैं उसके घर नहीं जाता,
माना मैं उसके घर नहीं जाता,
डी. के. निवातिया
2906.*पूर्णिका*
2906.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुझे जब फुर्सत मिले तब ही याद करों
तुझे जब फुर्सत मिले तब ही याद करों
Keshav kishor Kumar
अच्छा ख़ासा तआरुफ़ है, उनका मेरा,
अच्छा ख़ासा तआरुफ़ है, उनका मेरा,
Shreedhar
मैं बनना चाहता हूँ तुम्हारा प्रेमी,
मैं बनना चाहता हूँ तुम्हारा प्रेमी,
Dr. Man Mohan Krishna
Loading...