कन्यादान क्यों और किसलिए [भाग४]
इसकी हर एक शब्द पर पापा,
जाने कितनी मौत मैं मरती हूँ।
शरीर तो रहता हैं, पापा
पर आत्मा वहीं दफन हो जाता।
आप कहते हो मेरे पापा,
नया घर बसाओ तुम ।
अपने प्यार और विश्वास से,
सबके दिल में जगह बनाओ तुम।
जो बीत गई सो बात गई,
अब आगे को बढ जाओ तुम।
जीवन की हर खुशियों से,
नया संसार सजाओ तुम।
मैं पूछती हूँ मेरे पापा
ऐसा कैसे हो सकता है!
क्या टूटी-फूटी नींव पर
कोई महल बन सकता है!
मैं फिर आपसे पूछती पापा,
क्या बिना जड़ के कोई पेड़
पनपता है !
क्या अपने जड़ को भूलकर,
वह आसमान की ओर उठता है!
~अनामिका