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30 Aug 2020 · 1 min read

कतरा कतरा बिखर रहा था ।

उधर से होकर गुजर रहा था
मैं कतरा कतरा बिखर रहा था ।

नहीं रहा है वो मिलना मुमकिन
जो रोज का सिलसिला रहा था

वो जाने कैसे करीब आया
सुना है वो वदगुमां रहा था

उधर से होकर गुजर रहा था
मैं कतरा कतरा बिखर रहा था ।

बहुत सहा अब न सह सकूँगा
वो अपना बन कर सता रहा था

हर एक लम्हा थी मुझको मुश्किल
मैं मुश्किलों में निखर रहा था

उधर से होकर गुजर रहा था
मैं कतरा कतरा बिखर रहा था ।

अनुराग दीक्षित

1 Like · 1 Comment · 266 Views
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