कर्मठ राष्ट्रवादी श्री राजेंद्र कुमार आर्य
मैं हूँ कि मैं मैं नहीं हूँ
नैतिकता की नींव पर प्रारंभ किये गये किसी भी व्यवसाय की सफलता
हम शरीर हैं, ब्रह्म अंदर है और माया बाहर। मन शरीर को संचालित
रुका तू मुद्दतों के बाद मुस्कुरा के पास है
किसी मुस्क़ान की ख़ातिर ज़माना भूल जाते हैं
हे दिल ओ दिल, तेरी याद बहुत आती है हमको
अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर
रिश्ते और साथ टूटना कभी भी अच्छा नहीं है हमारे हिसाब से हर व
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
उदास एक मुझी को तो कर नही जाता
*परवरिश की उड़ान* ( 25 of 25 )
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज