मोह लेगा जब हिया को, रूप मन के मीत का
मोह लेगा जब हिया को, रूप मन के मीत का
नित जहां में जन्म होगा, इक नए संगीत का
कोकिला कूके जहाँ भी, डाल पर बैठी हुई
गुनगुनायेगी सखी नव गीत कोई प्रीत का
फूल पे मोहित हुआ जो, कोई भौंरा बाग़ में
कल्पना की कोख से तब, जन्म होगा गीत का
सूत्र जोड़ेगा जहाँ भी, आने वाला पल कोई
इक नया अध्याय होगा, वर्तमान अतीत का
प्यार में सब कुछ गंवाकर, मुझको कोई दुख नहीं
लुत्फ़ अब आने लगा है, हार में भी जीत का
महावीर उत्तरांचली