कजलियों की भेंट
प्रेम भाव की हरी कजलियां,सादर अर्पित करता हूं।
जीवन हो खुशहाल तुम्हरा,मान समर्पित करता हूं।
हे चैतन्य आनंद स्वरूप, प्रेमामृत निशदिन पान करें।
धन्यवाद और निर्विवाद, ईश्वर का गुणगान करें।
चार दिनों की है जिंदगानी,व्यर्थ न ये पल जांयें।
हर पल का आनंद मिले, करता हूं यही दुआयें।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी