और भी शौक है लेकिन, इश्क तुम नहीं करो
और भी है शौक लेकिन, इश्क तुम नहीं करो।
खुद को बर्बाद इश्क में, तुम कभी नहीं करो।।
और भी है शौक लेकिन———————-।।
प्यार जो करती है तुमसे, उसका क्या है इरादा।
समझा है उसको कभी क्या, क्यों है दीवाना ज्यादा।।
रोग यह लाइलाज है, गलती तुम यह नहीं करो।
और भी है शौक लेकिन————————।।
देखा है तुमने तो सिर्फ, उसकी सूरत को ही।
मान लिया तुमने मूरत, एक सिर्फ उसको हो।।
बदलता है पल में चेहरा, वादा तुम नहीं करो।
और भी है शौक लेकिन——————–।।
तुमको है कैसे मालूम, पाक है उसका दामन।
यह भी तो हो सकता है, और भी हो उसका साजन।।
यह राह है गुमनामी की, एतबार नहीं करो।
और भी है शौक लेकिन———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)