“औरत “
बुनियाद है, चट्टान है
मीनार है औरत,
इस मुल्क की हर तहजीब का
आधार है औरत,
आदम की तरक्की की ये छत
जिस पर रखी है
उस छत को सम्हाले हुए
दीवार है औरत,
देने पड़ेंगे तुम्हें आखिर
लेकिन क्यों नहीं देते
वे हक तमाम जिनका कि
हकदार है औरत।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
बेस्ट पोएट ऑफ दि ईयर 2023
हरफनमौला साहित्य लेखक।