औकात
वो हमसफ़र नही तो क्या
हमराज़ तो है
वो मेरे पास नही तो क्या
हर पल साथ तो है।
क्या रोकेगा ज़माना हमें अब
ठहरा हुआ समंदर है
तुफानों के पास तो है
डूबेंगे तो किस्सा है
जो पार लगे तो
तेरा ही हिस्सा है
डर किस बात का
गहरे है अपनी
औकात में तो है।