ओ पृथ्वी ( विश्व पर्यावरण दिवस 🌎 )
ओ पृथ्वी ( विश्व पर्यावरण दिवस 🌎 )
हमारी आँखों में
कसमसा रहा है जल
ओ पृथ्वी
अभी रहेगा तेरा हरापन
तेरी कोख में सोया हुआ बीज
पौधा भी बनेगा, पेड़ भी
आँसुओं में नमक की तरह
घुल गया है गुस्सा
ओ पृथ्वी
अभी रहेगी तेरी ऊष्मा
पककर तैयार होंगे जिसमें
कुम्हार के घड़ों की तरह
हमारे सपने
धीरे-धीरे सही
टूट रहा है सन्नाटा
उठ रही है हमारी बाँसुरी से एक धुन
हमारी थकान में फैल रहा है
भीगे पत्तों का ताज़ापन
ओ पृथ्वी!
अभी रहेगा तेरा संगीत
नए आए मंजरों पर खनकती
कोयल की आवाज की तरह
गाते-गाते लड़ेंगे हम
तेरी ऊष्मा
हरेपन
और संगीत के लिए।
ओ पृथ्वी
अभी महकेंगे फूलों की
खुशबू , और बिखेरेंगे अपने रंग ।