ऐ जिंदगी….
ये जिंदगी सिखाए जिसे
सीखा सकती कोई किताब नही !
हार के सबक से बड़ा
जीतने वाले का खिताब नही !
राज छुपा सकता है पर्दा
नही कर सकता दफन कभी !
जो सूकून देता लिबास
नही दे सकता कफन कभी !
रोशनी दे सकता है चिराग
पर नही दे सकता तपन कभी !
कटीला बोल भी दोस्त का
नही दे सकता चुभन कभी !
दिलासे तो बहुत देते यहाँ
बिरले ही देते है सहारे !
जिंदे को लहर ले जाती बीच
मरे को फैंक देती है किनारे !
ये सुख-दुख भी क्या गजब
धूप-छॉव वाली खुली गली है !
धूप लगे छाँव,छॉव लगे धूप
बस करनी अदला-बदली है !
कुछ भी हो जाए दोस्तों
ना होती हिम्मत हारने को !
बस थोडी़ चाहिए जिंदादिली
इस बुजदिली को मारने को !
ये जन्नत-जहन्नुम की कीमत
हमारी प्यारी जान होती है !
जान दे जन्नत-जहन्नुम मिलती
जब कायनात बेजान होती है !
क्या खूब अच्छी है ये दुनिया
जो जीते जी मेहरबान होती है !
यही तो है एक अदद जिंदगी
अगली तो किस्सों की दुकान होती है !
तो जी ले और जी लेने दे
इसी में इंसानी शान होती है !
जो समझे जिंदगी का फलसफा
गुमनामी में उसी की पहचान होती है !
~०~
मौलिक एंव स्वरचित : कविता प्रतियोगिता
रचना संख्या-२० : जीवनसवारो,जून २०२३.