ऐ ज़िन्दगी
ऐ ज़िन्दगी तू बहुत
थक गई होगी
चलते चलते
आ कर दूँ तेरी मालिश
धुल दूँ तेरे पैरों को
अपने नयनों के पानी से
मैं हूँ जबसे चल रही है तू भी
कितना कुछ तूने सहा है
सहे हैं बेबसी के क्षण
आँधियों के थपेड़े
हो गई है कितनी
बन गई है बोझ
कितनी बोझिल है
तेरी आँखे
जाने कबसे नहीं सोई है तू
आ तुझे सुला दूँ प्रेम से
कर ले आराम कुछ तू भी
कर ले आराम कुछ तू भी
-शालिनी मिश्रा तिवारी
( बहराइच,उ०प्र० )