ए जिंदगी….
ए जिंदगी….
“किस को क्या इलज़ाम दूँ.??
हँसने वाले भी अपने थे
और रोने वाले भी सभी अपने थे
जिन्दगी में सताने वाले भी अपने थे
और मुखाग्नि देने वाले भी
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद
ए जिंदगी….
“किस को क्या इलज़ाम दूँ.??
हँसने वाले भी अपने थे
और रोने वाले भी सभी अपने थे
जिन्दगी में सताने वाले भी अपने थे
और मुखाग्नि देने वाले भी
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद