एहसासों का समन्दर लिए बैठा हूं।
दिले जज़्बात अंदर लिए बैठा हूं।
एहसासों का समन्दर लिए बैठा हूं।।1।।
कब आओगे हमारी जिन्दगी में।
तुम्हारे लिए इसे संवार कर बैठा हूं।।2।।
पत्थर से थे हम मोम बन गए है।
तुम्हारा होने का अरमां लिए बैठा हूं।।3।।
अब रातें जाग करके बिताता हूं।
इंतजार में शम्मा जला कर बैठा हूं।।4।।
हंसते मुस्कुराते है सुकूँ चैन ना है।
जबसे तुम्हें दिले यार बना बैठा हूं।।5।।
डरता हूं अफसाना ना बन जाऊं।
कहे लोग इश्क में सब गवां बैठा हूं।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ