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15 Jul 2021 · 1 min read

एक हमारी प्यारी बेगम——

एक हमारी प्यारी बेगम,
मस्ती भरे; इस यौवन में
करती है अनुराग बहुत वो,
यथा प्रसून पर भ्रमर का गुंजन
चेहरे पर चमक हो जैसे,
चन्द्र सी नील-गगन में।

पुष्पित उज्ज्वल क्या उसकी,
जैसे खिला कमल हो जल में
शीतलता मिला अजीब बड़ा,
अलकों के घने छाँव में
रक्तरंजित अधर हैं,जैसे
हों गुलाब की पंखुड़ियां।

कुसुमित यौवन याद दिलाते,
हों शीर्ष; शिखा-हिमालय जैसी
मृदुवाणी है पावन उसकी,
जैसे कोयल बोले उपवन में
बना मनोज; मैं पाकर उसको,
यथा क्रौंच का दिवा में रंजन।

रात को जब मैं घर में आऊँ,
वो खाट बिछाये आंगन में
अधरों पर अधरों का आलिंगन,
किया बैठाकर; जाँघन पर
उत्साहित थी; वो लिपट गयी,
आकर मेरी बाहों में।

–सुनील कुमार

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 345 Views
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