*अकेलेपन की साथी, पुस्तकें हैं मित्र कहलातीं【मुक्तक】*
अकेलेपन की साथी, पुस्तकें हैं मित्र कहलातीं【मुक्तक】
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अकेलेपन की साथी, पुस्तकें हैं मित्र कहलातीं
कठिन क्षण में प्रदर्शक-सी, सदा यह पथ को दिखलातीं
किसी तरकीब से निर्धन तो, पढ़ भी उनको लेते हैं
धनिक के घर की अलमारी में, सज-धज के ही रह जातीं
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451