Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Apr 2024 · 1 min read

उलझनें

हर खुशफ़हमियों से अब हमें, मुँह मोड़ना होगा।
मुझे वह बिंधते हैं ऐसे, कि बन्धन तोड़ना होगा।।
ये रंगत रिश्तों कि जो मुझे, कल तक अज़ीज़ थे।
लगाए शक्ल पर धब्बे, कि दामन छोड़ना होगा।।

बन्द आँखों से कब तक, भरोसा करते रहेंगे हम।
खोल कर अपने आँखों को, पलड़ा तोलना होगा।।
मैं देखा करता था अक्सर, मगर था बोलता नहीं।
कुरेद गए वो इतना गहरा, कि अब बोलना होगा।।

तूँ करती फिक्र थी मेरी, मैं तकता था तेरी राहें।
अब ऐसे आशाओं का, गला हमें घोटना होगा।।
रही कुछ गलतीयाँ तेरी, रही कुछ गलतीयाँ मेरी।
पर गलती थी बड़ी किसकी, यह टटोलना होगा।।

मैं चुप था, मैं चुप हूँ, मैं ऐसे, चुप ही रहूंगा अब।
इतनी उलझनें उसको भी, क्या कचोटता होगा।।
बुराई ढूढतें रहते हैं जो, दुनिया मे घूम- घूम कर।
लगाके अपने घर वो आईना, क्या सोचता होगा।।

©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित १५/०४/२०२४)

1 Like · 26 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
* दिल बहुत उदास है *
* दिल बहुत उदास है *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
????????
????????
शेखर सिंह
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हीरा उन्हीं को  समझा  गया
हीरा उन्हीं को समझा गया
दुष्यन्त 'बाबा'
मैं तो महज आग हूँ
मैं तो महज आग हूँ
VINOD CHAUHAN
भगवत गीता जयंती
भगवत गीता जयंती
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कोई उपहास उड़ाए ...उड़ाने दो
कोई उपहास उड़ाए ...उड़ाने दो
ruby kumari
💐प्रेम कौतुक-539💐
💐प्रेम कौतुक-539💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में.
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में.
कवि दीपक बवेजा
प्रेम एक निर्मल,
प्रेम एक निर्मल,
हिमांशु Kulshrestha
🙅क्षणिका🙅
🙅क्षणिका🙅
*Author प्रणय प्रभात*
शहर कितना भी तरक्की कर ले लेकिन संस्कृति व सभ्यता के मामले म
शहर कितना भी तरक्की कर ले लेकिन संस्कृति व सभ्यता के मामले म
Anand Kumar
मां
मां
Monika Verma
"दहलीज"
Ekta chitrangini
रोगों से है यदि  मानव तुमको बचना।
रोगों से है यदि मानव तुमको बचना।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
तेरे भीतर ही छिपा,
तेरे भीतर ही छिपा,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
स्वीकारोक्ति :एक राजपूत की:
स्वीकारोक्ति :एक राजपूत की:
AJAY AMITABH SUMAN
*बहू हो तो ऐसी【लघुकथा 】*
*बहू हो तो ऐसी【लघुकथा 】*
Ravi Prakash
सफलता वही है जो निरंतर एवं गुणवत्तापूर्ण हो।
सफलता वही है जो निरंतर एवं गुणवत्तापूर्ण हो।
dks.lhp
मैंने  देखा  ख्वाब में  दूर  से  एक  चांद  निकलता  हुआ
मैंने देखा ख्वाब में दूर से एक चांद निकलता हुआ
shabina. Naaz
मिलती नहीं खुशी अब ज़माने पहले जैसे कहीं भी,
मिलती नहीं खुशी अब ज़माने पहले जैसे कहीं भी,
manjula chauhan
राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
3275.*पूर्णिका*
3275.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वृक्ष बड़े उपकारी होते हैं,
वृक्ष बड़े उपकारी होते हैं,
अनूप अम्बर
मिला है जब से साथ तुम्हारा
मिला है जब से साथ तुम्हारा
Ram Krishan Rastogi
बोलो क्या कहना है बोलो !!
बोलो क्या कहना है बोलो !!
Ramswaroop Dinkar
देखी नहीं है कोई तुम सी, मैंने अभी तक
देखी नहीं है कोई तुम सी, मैंने अभी तक
gurudeenverma198
बिन शादी के रह कर, संत-फकीरा कहा सुखी हो पायें।
बिन शादी के रह कर, संत-फकीरा कहा सुखी हो पायें।
Anil chobisa
Ram Mandir
Ram Mandir
Sanjay ' शून्य'
शौक करने की उम्र मे
शौक करने की उम्र मे
KAJAL NAGAR
Loading...