एक बे सहारा वृद्ध स्त्री की जीवन व्यथा।
÷ एक बे सहारा वृद्ध स्त्री की जीवन व्यथा÷
उसकी अंत: ह्रदय वेदना,
मेरी कलम ना लिख पाई है,,,
तुम पढ़कर स्वयं में समझना,
मेरे शब्दों में ना इतनी गहराई है!!!
शायद मैं शब्दों से लिखकर,
उसके भाव ना ला पाऊं,,,
क्योंकि मेरी नज़रे भी,
भीड़ की तरह तमाशाई है!!!
वो लोगों को देती रही,
ईश्वर के नाम की दुहाई,,,
पर कोई जिंदगी ना,
उसकी मदद को आगे आई है!!!
हर स्वप्न उसका टूटा है,
उसके हर रिश्ते में दरार आई है,,,
गरीबी उसकी जिंदगी में,
बस अभिशाप ही लेकर आई है!!!
चुपचाप अपने ही आप में,
वह खोई रहती है,,,
चार दिन से उसे ना देखा है,
जानें कहां गई वो नज़र ना आई हैं!!!
मालूम जो किया जाकर,
उसके पते पर तो पता चला,,,
दो दिन पहले ही उसकी जिंदगी,
सांसों से हारकर मौत को पाई है!!!
सोचता हूं अच्छा ही हुआ,
जिन्दगी उसकी दुखों से भरी थी,,,
वो कब तक ऐसे जीती अपना जीवन,
मौत ने उसकी बद नसीबी मिटाई है!!!
हाल उसका जानकर जानें क्यों,
मेरी भी आंखें आंसुओं से भर आई हैं!!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ