एक फूल की तरह ही
मैं
एक जीवन की किताब हूं
इसके पन्नों के बीच दबा
कोई गुलाब का सूखा फूल नहीं
मैं एक रंगीन तितली हूं
पंख फैलाकर उड़ने वाली
फूलों पर न मंडराने वाली
थककर कहीं न रुकने वाली
मेरा जीवन बहुत छोटा है
मुझे पकड़कर
मेरे पंख काटकर
मेरी उड़ान पर रोक लगाकर
मुझे कैदखाने में डालकर
मुझे मारकर
यह मुझे भी
एक फूल की तरह ही
किसी किताब की कब्र में
दफनाना चाहते हैं
मेरे जीवन की अधूरी कहानी
ऐसे ही पूरी होगी
यह मैं पहले से ही जान
गई
जब मेरे चारों तरफ
विचरते रहते
जंगल के शिकारी
घर में भी सब भक्षक
तो कैसे हो मेरी रक्षा
कौन बनेगा मेरा रक्षक।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001