“एक नज़र”
“एक नज़र”
धीरज जो खोता है,
अपनी नाव डुबोता है।
आम कहाँ से आएगा,
जब बबूल ही बोता है।
विरले ही लोग होते यहॉं,
जो आँसू में कलम डुबोता है।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“एक नज़र”
धीरज जो खोता है,
अपनी नाव डुबोता है।
आम कहाँ से आएगा,
जब बबूल ही बोता है।
विरले ही लोग होते यहॉं,
जो आँसू में कलम डुबोता है।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति