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28 May 2023 · 1 min read

एक तेरे नाम पर

हजारों आँसू पी गई वह एक तेरे नाम पर
दर बदर फिरती रही वह एक तेरे नाम पर।

क्या होता दिल का लगाना थी नही वह जानती
पर कब दीवानी बन गई वह एक तेरे नाम पर।

तूने उसके दिल की कीमत को कभी समझा नहीं
एक नहीं सौ बार टूटा वह दिल तेरे एक नाम पर।

वह तो बहती दरिया थी बस बहती जाती थी मगर
पर आज आँखे तक सूखी पड़ी है एक तेरे नाम पर।

औरों को जीवन जीने की कला सिखाती थी कभी
पर आज स्वयं ही मर मिटी वह एक तेरे नाम पर।

सिंदूर तेरे नाम का वह अपने मस्तक सजाती रही
पर हर बार गिरी सम्मान में वह एक तेरे नाम पर।

– विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’

Language: Hindi
1 Like · 145 Views
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