एक झलक
एक झलक
अहंकार का घड़ा है फूटा,
रिश्तों से है नाता टूटा,
तेरी एक झलक के पश्चात्,
जग से है नाता छूटा ।
तुझसे जब से लागी लगन,
हृदय प्रेम में हुआ मगन,
विरहा की जागी अगन,
प्रेम-बाँवरा हुआ यह मन ।
तुमरे दर्शन को नैन हैं प्यासे
जग – निद्रा से अभी है जागे,
अब तो इनको मार्ग दिखा दे,
भक्ति की अलख जगा दे।
– डॉ० उपासना पाण्डेय